शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

सरकारी बिल से फिर निकला महिला आरक्षण

14 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सरकार ने एक बार फिर से महिला आरक्षण विधेयक को पास करवाने को लेकर कदम आगे बढ़ाए हैं। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का इंतजाम करने वाले इस विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इसे मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा। विधि और न्याय मामलों की संसदीय समिति पिछले साल दिसंबर में ही इस विधेयक को मौजूदा स्वरूप में पारित करवाने की सिफारिश कर चुकी है। तीन दिन पहले राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने बजट सत्र की शुरुआत के दौरान संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भी इस विधेयक की विस्तृत चर्चा कर इस बात के संकेत दिए थे कि सरकार इसे मौजूदा सत्र में ही पारित करवाने की कोशिश करेगी। गुरुवार को ही आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति ने दालों की पैदावार बढ़ाने के इरादे से राष्ट्रीय खाद्यान सुरक्षा मिशन को मजबूती देने का फैसला भी किया है। इस फैसले के मुताबिक अब दालों के लिए एकीकृत योजना आईसोपॉम भी अब राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा मिशन के तहत शामिल कर कर ली जाएगी। महिला आरक्षण विधेयक लगभग डेढ़ दशक से राजनीतिक दलों के बीच विवाद की वजह से लटका पड़ा है। सैद्धांतिक तौर पर सभी राजनीतिक दल इसका समर्थन करते हैं, इसके बावजूद ज्यादातर मौजूदा सांसदों को महिला आरक्षण लागू होने के बाद अपनी सीट खो जाने का खतरा नजर आ रहा है। इसलिए सभी बड़े दलों के इसके समर्थन में होने के बावजूद इसे संसद की मंजूरी नहीं मिल पा रही है। समाजवादी पार्टी, जदयू और राष्ट्रीय जनता दल इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध करते रहे हैं। इनका कहना है कि वंचित वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण के अंदर आरक्षण की व्यवस्था की जाए। पहली बार इसे 1996 में एच. डी. देवगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार ने लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया था।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

गरीबी से ज्यादा प्यार में हो जाते हैं फना

दिल टूटने का दर्द क्या होता है, यह कोई नाकाम प्रेमी ही बता सकता है। लेकिन दिल टूटने का दर्द गरीबी और बेरोजगारी पर हावी है। सरकारी आंकड़े यह बात कह रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2008 की रिपोर्ट के मुताबिक नाकाम प्यार में दिल टूटने के चलते देश में प्रतिदिन 10 लोगों ने आत्महत्या की, जबकि गरीबी और बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वालों का औसत क्रमश: 8 और 6 व्यक्ति प्रतिदिन रहा। 'एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2008' शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक 2008 में 3,774 लोगों ने प्यार के नाकाम रहने पर आत्महत्याएं की जिनमें से 1,912 महिलाएं और 1,862 पुरूष थे। वहीं गरीबी के चलते 3006 और बेरोजगारी तथा दिवालिया होने के चलते क्रमश: 2,080 और 2,970 लोगों ने आत्महत्याएं कीं।
राज्यवार स्थिति देखें तो 2008 में 792 आत्महत्या के मामलों के साथ पश्चिम बंगाल का स्थान सबसे ऊपर रहा। इसके बाद दिल टूटने के चलते तमिलनाडु में 549, असम में 396, आंध्र प्रदेश में 263 और उड़ीसा में 212 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस तरह के महज 63 मामले देखे गए। 2008 में आत्महत्या के कुल एक लाख 25 हजार 17 मामले हुए जिनमें 45.7 फीसदी लोगों ने घरेलू समस्याओं और बीमारी के चलते यह कदम उठाया। पारिवारिक समस्याओं के चलते 29,777 और 27,410 लोगों ने बीमारी के चलते आत्महत्या को गले लगाया। वहीं दहेज मामलों के चलते 3,028 लोगों ने आत्महत्याएं कीं।

शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

पर्यावरण बचाने के लिए एक मुहिम

http://todaynature.blogspot.com/ -देखे
आज देश और दुनिया की पहली चिंता है- बिगड़ता पर्यावरण। हाल में संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण समिति ने इस बात की आशंका जताई है कि अगर आज की गति से ही जंगल कटते रहे, बर्फ पिघलती रही तो शायद पचास सालों में दुनिया के कई निचले इलाके डूब जाएंगे। यही हालत रही तो सौ सालों में मालदीव, मॉरीशस सहित भारत के मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहर भी पानी में डूबकर विलुप्त हो सकते हैं। इस मामले में सरकारें अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं, लेकिन अब भी आम आदमी में जागरूकता नहीं आई है। लोग पर्यावरण बचाने में अपनी भूमिका को नहीं पहचानते। वे सोचते हैं- मैं कर ही क्या सकता हूं? पर अगर कोई वास्तव में कुछ करना चाहे तो किसी का मुंह देखने की जरूरत नहीं है।

सोमवार, 21 सितंबर 2009

प्रणव पर हमले की योजना थी

कोलकाता : वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी माओवादियों के निशाने पर हैं. रविवार को बहरमपुर में माओवादियों के परचे मिले. परचे में लिखा गया है कि 30 अगस्त को मुर्शिदाबाद में हुए बारूदी सुरंग विस्फोट के निशाने पर प्रणव ही थे. इसमें कहा गया है ‘‘ हमारा टारगेट 34 नंबर नेशनल हाइ-वे को उड़ाना नहीं था. हम कुछ लोगों को सबक सिखाना चाहते थे’’. परचे बहरमपुर प्रेस क्लब में मिले. परचे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( माओवादी) के लेटर पैड पर छपे हैं. इसमें माओवादियों ने 30 अगस्त को एनएच 34 पर हुए बारूदी सुरंग विस्फोट की जिम्मेदारी ली है. माओवादियों ने कहा है प्रणव मुखर्जी क्या सोचते हैं. मुर्शिदाबाद आकर यहां के लोगों से लुभावनी बातें कहेंगे और सारा दोष माकपा के मत्थे मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ लेंगे. उनका यह सोच बिल्कुल गलत है. हम चुप नहीं बैठेंगे. हम सबक सिखा कर ही दम लेंगे. माओवादियों की तरफ से प्रणव मुखर्जी को संबोधित कर लिखे गये इन परचों के मिलने के बाद मुर्शिदाबाद जिला पुलिस के आला अधिकारी सकते में हैं.नये सिरे से जांच शुरू30 अगस्त को हुए लैंड माइन ब्लास्ट की नये सिरे से जांच की जा रही है. माओवादियों ने विस्फोट में भाकपा ( माओवादी) के सदस्य कॉमरेड सुरजीत के मारे जाने व कॉमरेड शंकू दलुई के घायल होने के बारे में भी लिखा है.मुर्शिदाबाद में ही थे प्रणव पुलिस के मुताबिक, 30 अगस्त को केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी मुर्शिदाबाद में ही थे. हो सकता है परचे में लिखी बात सच हो और प्रणव मुखर्जी माओवादियों के निशाने पर रहे हों. उल्लेखनीय है कि 30 अगस्त को दोपहर में मुर्शिदाबाद से जुड़े एनएच पर बारूदी सुरंग विस्फोट हुआ था. इससे एक युवक की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी. शंकू दलुई नामक एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ था.30 से ही लापता सुरजीतजांच में पता चला था कि 30 अगस्त की सुबह से ही बहरमपुर इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र सुरजीत भी लापता है. हो सकता है परचे में किये गये दावे के मुताबिक विस्फोट में मारा गया युवक सचमुच में सुरजीत हो. हालांकि सुरजीत के पिता ने शव देख कर उसे पहचानने से इनकार कर दिया था. शव सुरजीत का है या नहीं, इसकी जांच के लिए पुलिस शव का डीएनए जांच करायेगी. शंकू से भी पूछताछ जारी है.

रविवार, 20 सितंबर 2009

एक नजर इधर भी ...

शोषण, अन्याय और फर्जीवाड़ा के खिलाफ पारखी नज़र और एक बुलंद आवाज़।

http://fargibada.blogspot.com/

शनिवार, 23 मई 2009

बेखुदी

बेखुदी में गुनगुनाया जाय
ख़ुद को ही आजमाया जाय
जो रोशन करे सारे जहां को
गुल कोई ऐसा खिलाया जाय
टूटने के बाद भी जो अपना सा लगे
रिश्ता कोई ऐसा बनाया जाय
गमों का यहाँ रोज आना जाना है
चलो हिज्र में ही मुस्कुराया जाय

रविवार, 1 मार्च 2009

मेरी कलम से

प्रमोशन
वर्षों से ऐसा होते रहा है
ईमानदार हमेशा रोते रहा है
जो कम करे नम्बर दो का
उनका ही प्रमोशन होते रहा है
गरीबी रेखा
नीचे वाले गरीबी रेखा के
दिन काट रहे हैं और
ऊपर वाले मजे से
दूध मलाई चाट रहे हैं
हिन्दुस्तान
हिन्दुस्तान की हर बात निराली है

आम जनता की दोनों जेबें खाली है
खाने को नहीं है दो वक़्त की रोटी पर
नेताओं के स्वागत में जोरदार तालीहै
कवियों की वर्षा
आपकी कविता सुनने आज हम पधारे हैं

आपके स्वागत में चाँद और सितारे हैं
आपकी मधुवनी सुन कोयल भी लजाती है
बेमौसम वर्षा होती, कलियाँ भी खिल जाती हैं
छंद पर अधिकार आपका नवरस के हो निर्माता
आपके इशारे पर चलते फिल्मी लेखक और निर्माता
आपकी कविता में श्रंगार रस जब आता है
सोते से उठकर गधा भी नाचने लगता है
वीर रस की पुकार सुनकर कुत्ते दोड़ने लगते हैं
घोडे भी खड़े खड़े आपस में लड़ने लगते हैं
विभत्स कविता जब होती भूकंप के झटके लगते हैं
करुण-रूदन रस सुन सुन कर, पत्थर भी रोने लगते हैं
हास्य कविता कवि सम्मलेन में कम आप सुनाते हैं
बरना हँसते-हँसते श्रोताओं के हार्ट फ़ेल हो जाते हैं
वात्सल्य रस जब आप सुनाते भक्त के आंसू झरते हैं
खुश होकर भगवान भी कवियों की वर्षा करते हैं